खास बातें:
- रैनसमवेयर से प्रभावित सिस्टम्स को अनलॉक करना लगभग नामुमकिन होता है। इसमें आपके डेटा का लैंग्वेज़ बदल दिया जाता है, जिसे खुद से डीकोड करना संभव नहीं है।
- ये किसी भी तरह के फाइल्स वीडियो, ऑडियो, फोटो, टेक्स्ट के कोड को अपने हिसाब से बदल सकता है।
- अगर आपका कंप्यूटर इससे प्रभावित होता है तो आपके सामने एक इमेज या मैसेज के रूप में फिरौती की रकम और फिरौती देने की अवधी डिसप्ले की जाएगी।
- फिरौती बस बिटक्वाइन के रूप में ली जाती है, क्योंकि इसे ट्रैक करना किसी भी हाल में संभव नहीं होता।
- रैनसमवेयर के हमले में साधारण एंटीवायरस कारगर नहीं होते।
- ये एक सिस्टम से होते हुए लोकल नेटवर्क में जुड़े दूसरे कंप्यूटर्स में भी फैल सकता है।
- कैसे होता रैनसमवेयर का हमला:
- सबसे पहले पीड़ित को एक इमेल आता है जिसमें एक इंफेक्टेड लिंक या अटैचमेंट होता है।
- जैसे ही उस लिंक को क्लिक किया जाता है या अटैचमेंट डाउनलोड किया जाता है, एक डाउनलोडर उस कंप्यूटर में इंस्टॉल हो जाता है।
- वो डाउनलोडर उस कंप्यूटर में रैनसमवेयर प्रोग्राम डाउनलोग कर देता है।
- इसके बाद हार्ड डिस्क में मौजूद सारे डेटा को एनक्रिप्ट कर लिया जाता है या आसान शब्दों में कहें तो उन डेटा का लैंग्वेज और कोड बदल दिया जाता है।
- और अंत में स्क्रीन पर डेटा के डीक्रिप्शन यानी की वापस आपका डेटा आपको देने के एवज़ में फिरौती कितनी कैसे और कबतक देनी है इसका एक मैसेज आता है।
- ये सब इतनी जल्दी सेकंड भर के अंदर में हो जाता है कि कई बार लोग यकीन ही नहीं करते और उन्हें लगता है कि ये कोई मज़ाक है।
आगे पढ़े : रैनसमवेयर से नुकसान
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