बिहार के सासाराम के डालमियानगर में आठ माह पहले 10 साल की बच्ची की रेप के बाद हत्या मामले में अपर जिला जज-7 नीरज बिहारी लाल की विशेष पॉक्सो अदालत ने शुक्रवार को दोषी गंगौली निवासी बलिराम सिंह को फांसी की सजा सुनाई। साथ ही, राज्य सरकार को मृतका के परिवार को आठ लाख रुपए भुगतान करने का भी आदेश दिया। विशेष अदालत में स्पीडी ट्रायल के तहत मामले की ऑनलाइन सुनवाई पूरी की गई।

इसके पूर्व अभियोजन पक्ष ने फांसी की सजा व बचाव पक्ष ने कम से कम सजा दिए जाने की मांग विशेष अदालत से की थी। सजा सुनाए जाने के समय अदालत परिसर के बाहर बड़ी संख्या में भीड़ जमा थी।

मां ने कहा-आठ महीने तक घुट-घुट कर जीती रही

अपने घर की 10 साल की बच्ची के साथ दुराचार और निर्मम हत्या की सजा सुनने के लिए उसके परिजन सिविल कोर्ट पहुंचे थे। न्यायालय ने दोपहर बाद जब फांसी की सजा सुनाई तो पीड़िता बच्ची के परिजनों ने भगवान का लाख-लाख शुक्र  किया और कहा कि न्यायालय पर हमें पूरा भरोसा था। बच्ची की मां ने बताया कि उसने आठ महीने तक घूंट-घूंट कर जिंदगी जिया है और हर पल अभियुक्त के फांसी की दुआ ईश्वर से मांगती रहती थी। वह आज पूरी हो गई। उन्होंने बताया कि घटना के समय मैं अपने पति के पास मध्यप्रदेश के नवानगर में कमाने गई थी और मेरी बेटी अपने दादा-दादी के साथ डेहरी में रहकर पढ़ाई करती थी। लेकिन उसे क्या पता था कि दरिंदे मेरी बेटी की जिंदगी को बर्बाद कर देगा। उन्होंने कहा कि मेरा एक ही मकसद था कि दरिंदे ने जिस तरह मेरी बेटी को खत्म कर डाला है। उसे वैसी ही सजा मिले। ताकि ऐसी घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो सके। उन्होंने बताया कि जरूरत पड़ी तो अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय तक जाऊंगी।

आग की तरह फैली खबर, बलराम को हुई फांसी की सजा

डालमियानगर थाना क्षेत्र के गंगोली गांव में बीते वर्ष दीपावली की शाम एक बच्ची के साथ दुष्कर्म कर हत्या करने व शव को बक्सा में बंद करने के मामले में जेल में बंद बलराम सिंह को सासाराम न्यायालय द्वारा फांसी की सजा सुनाए जाने की गूंज गंगौली गांव में शुक्रवार को सुनायी  गई। आग की तरफ फैली फांसी की सजा की खबर से पीड़ित परिवार के साथ-साथ ग्रामीण भी संतुष्ट दिखे। वहीं, बलराम सिंह के घर से जुड़े परिजनों ने फांसी की सजा के मामले पर चुप्पी साध ली।

गौरतलब है कि 15 नवंबर 2020 को गंगौली गांव में एक 10 वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी गई। बच्ची के शव को बक्से में बंद कर दिया गया था। सूचना मिलने के बाद ग्रामीणों ने आरोपित की जमकर धुनाई करके पुलिस के हवाले किया। तब पुलिस ने भी भरोसा दिलाया था कि दुष्कर्मी को फांसी की सजा दिलाने के लिए पुलिस अंतिम प्रयास करेगी। घटना उस समय घटी थी, जब पीड़ित बच्ची के माता-पिता मध्यप्रदेश में थे और वह दादा-दादी के साथ दीपावली मनाने की तैयारी कर रही थी। इसी बीच बलराम सिंह ने पड़ोस की 10 वर्षीय बच्ची को चॉकलेट देने के बहाने घर में बुलाया और शराब के नशे में उसके साथ दुष्कर्म कर हत्या कर दी। शव को अपने ही घर के बक्से में बंद कर दिया।

कोरोना संक्रमण के बीच छह माह में ट्रायल पूरा कर रचा इतिहास

विशेष अदालत ने छह माह में ट्रायल पूरा कर इतिहास रची है। बताया जाता है कि पांच जनवरी को मामले में  आरोप का  गठन हुआ था। इसके बाद मार्च महीने से कोरोना संक्रमण के कारण कामकाज काफी प्रभावित हो गया। बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर 4 मई से 29 मई तक पूर्ण लॉकडाउन लगा दिया गया। इसके बाद अदालत में वर्चुअल कामकाज शुरू हुआ। इन सबके बीच न्यायालय में 11 गवाहों की गवाही के साथ दस्तावेजी साक्ष्य, फॉरेंसिक लैबोरेट्री रिपोर्ट आदि के आधार पर इतना बड़ा फैसला सुनाना आसान नहीं था। लेकिन विशेष अदालत में यह सब कर अन्य अदालतों के लिए मिसाल पेश की।

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