1होटल मौर्या की जगह था पटना विश्वविद्यालय के वीसी का बंगला
1962 में यह शहर बहुत छोटा था, जिसकी आबादी बड़ी मुश्किल तीन-चार होगी। पूरे शहर में गोलघर, सचिवालय, गांधी मैदान जैसे गिने-चुने लैंड मार्क थे। गगनचुंबी इमारते कहीं नहीं दिखती थी और ना ही कोई पांच सितारा होटल था। जहां अभी होटल मौर्या है, उस स्थान पर पटना विश्वविद्यालय के वीसी का निवास खपरैल बांग्ला हुआ करता था। डाक बंगला चौराहा के किनारे लोक नायक जय प्रकाश की जगह डिस्ट्रिक्ट बोर्ड का बंगला था, जिसमें कनीय सरकारी अधिकारी और इंजीनियर ठहरते थे। सड़कें कम चौड़ी थी और कार जीप जैसे बड़े वाहन बड़ी मुश्किल दिखाई देते थे।