राज्यभर की 9वीं-10वीं की कक्षाएं तो इसी शनिवार से खुली हैं लेकिन ग्यारहवीं और बारहवीं की कक्षाओं के खुले तीन सप्ताह हो चुके हैं। पर राज्य सरकार को बच्चों की स्कूल में उपस्थिति को लेकर जो रिपोर्ट मिली है, वह शिक्षा विभाग के लिए चिंता का सबब बन गयी हैं। चार माह के बाद स्कूल खुलने के बावजूद महज दस से पंद्रह फीसदी बच्चे विद्यालय आ रहे हैं। और तो और शिक्षक भी नियमित स्कूल नहीं पहुंच रहे। खैर, शिक्षकों को लेकर तो विभाग ने शनिवार से ही औचक निगरानी आरंभ कर दी है लेकिन अब पूरा फोकस अधिकाधिक बच्चों को विद्यालय लाने पर होगा। इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि यदि बड़ी कक्षाओं के बच्चे कम आयेंगे तो इसका असर 16 अगस्त से आरंभ होने वाली प्रारंभिक की कक्षाओं पर भी पड़ेगा।

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने राज्य के सरकारी प्रारंभिक विद्यालयों में विद्यार्थियों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए सभी हेडमास्टरों व शिक्षकों के उत्सावर्द्धन की योजना बनायी है। यह जिम्मा जिला शिक्षा पदाधिकारी को सौंपी गयी है। डीईओ अपनी टीम के साथ बीआरसी, सीआरसी, हेडमास्टर और सभी शिक्षकों के साथ इसको लेकर मंथन करेंगे। इस अभियान के तहत 11 अगस्त से लेकर 18 अगस्त तक बीआरसी-सीआरसी से लेकर राज्य मुख्यालय तक में मंथन होगा।

अपर मुख्य सचिव खुद 11 अगस्त को राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी, सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (माध्यमिक शिक्षा) एवं एसएसए के डीपीओ के साथ इस मसले पर जूम एप के माध्यम से ऑनलाइन बैठक करेंगे। अपर मुख्य सचिव के निर्देश पर बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के राज्य परियोजना निदेशक श्रीकांत शास्त्री ने सभी डीईओ को निर्देश दिया है कि वे 12 अगस्त को प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, बीआरसी व सीआरसी के साथ बैठक करें। 13 और 14 अगस्त को डीईओ माध्यमिक-उच्च माध्यमिक जबकि 16 से 18 अगस्त के बीच प्राथमिक व मध्य विद्यालय के हेडमास्टरों के साथ बैठक करेंगे।

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