श्रावण मास की दूसरी सोमवारी व्रत के मौके पर भोले भक्तों में उत्साह है। श्रावण मास की दूसरी सोमवारी पर कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि पड़ रही है। सनातन धर्म में नवमी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। इस तिथि को ही सर्वसिद्धि को देने वाली माता सिद्धिदात्री देवी का पूजन किया जाता है। सावन के द्वितीय सोमवार पर भोले भंडारी की पूजा से विशेष पुण्यफल की प्राप्ति होगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवमी तिथि में किया गया पूजा या अन्य शुभ कार्य का फल अक्षय मिलता है। आचार्य विपेन्द्र झा माधव के अनुसार इस दिन वृद्धि योग पूरे दिन रहेगा। साथ ही 10:11 दिन के बाद अमृत योग भी रहेगा। इस दिन चंद्रमा उच्च राशि में दिन-रात को करेगा। प्रदोष के समय शिव पूजन करने से, शिव स्तुति का पाठ करने से, रुद्राभिषेक करने से अनंत फल की प्राप्ति होगी। जो भी जिस कामना से रुद्राभिषेक करेंगे, उनको उस फल की प्राप्ति होगी।
ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि सावन में महादेव को जलाभिषेक करने से सारी मनोकामना पूरी होती है। सुहागन औरतें अपनी सुहाग के लिए तथा कुंवारी कन्याएं अच्छे पति के लिए सावन की सोमवारी का व्रत विधि पूर्वक करती हैं। वैवाहिक सुख की सुगमता के लिए दूध में केसर तथा गंगाजल में हल्दी डालकर अभिषेक करें। बच्चों की आरोग्यता के लिए अनार एवं गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करना चाहिए। कोरोना काल की वजह से मंदिरों में सिर्फ पंडित या पुजारी ही जन कल्याण के लिए जलाभिषेक और रुद्राभिषेक के साथ संध्या काल में शृंगार पूजा करेंगे। श्रद्धालु अपने घरों में ही भगवान शिव पर गंगाजल, दूध, भांग-धतूर, आक, मधु, घी आदि अर्पित कर अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए प्रार्थना करेंगे।
सावन कृष्ण नवमी के साथ कृत्तिका नक्षत्र व वृद्धि योग के होने से अति उत्तम सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है I इस पुण्य फलदायी योग में शिवाराधना करने से परिवार, धन्य-धान्य, कृत्ति, यश, वैभव में वृद्धि के साथ मानसिक अशांति, गृह क्लेश और स्वास्थ्य संबंधी चिंता दूर हो जाती है।
इस मंत्र से करें शिव की पूजा, पूर्ण
शिव पंचाक्षरी मंत्र : ऊं नम: शिवाय।।
शिव गायत्री मंत्र : ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
महामृत्युंजय मंत्र : ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।।
शिव पूजन के लिए पूजा का उत्तम मुहूर्त
शुभ काल मुहूर्त – प्रातः 08:37 बजे से 10:16 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त- 11: 29 बजे से 12: 22 बजे तक
गुली काल मुहूर्त- 1: 35 बजे से 03: 15 बजे तक
प्रदोष काल – शाम 5:50 बजे से 7:20 बजे तक
शृंगार पूजा – रात्रि 6 :33 बजे से 7:54 बजे तक