बिहार विधान सभा मे असिस्टेंट, असिस्टेंट केयरटेकर, की परीक्षा आज पूरे प्रदेश में आयोजित की गई थी।

परीक्षा में पूरी तरह से कड़ा रुख अपनाना बहुत हद तक ठीक ही है, क्योंकि हाल की घटनाओं पर अगर ग़ौर करे तो ऐसे ऐतिहात बरतना जरूरी लगता है। पर क्या सरकारी परीक्षा में गैर सरकारी संस्थानों को जिम्मेदारी सौंपना ठीक है?


इसके अलावा ठंड में भी जूते मौजें, मौफ़लर टोपी वगेरह एलाऊ न करना कहा तक सही है? जबकि परीक्षा ऑनलाइन ली जा रही है। परीक्षा दे कर निकल रहे चंदन कुमार से हुई बातचीत में परीक्षार्थी चंदन ने बतलाया की अगर परीक्षा में छात्र चोरी करना या चिट ले जाना चाहे तो शरीर मे कई ऐसे जगह है जहाँ चिट छुपाई जा सकती है, जिसे ढूंढना लगभग नामुमकिन है। जहाँ तक चिट की बात है तो उसे जूते या गरम टोपी मौफ़लर में क्यों छुपाया जाए, जबकि उन्हें पता है की ये चीज़े आसानी से चेक किये जा सकते है।छात्र का कहना जायज था हालांकि ठंड में खासकर सुबह की पाली में गरम टोपी मौफ़लर आदि पर प्रतिबंध परीक्षार्थीयों के स्वास्थ्य पर प्रतिकुल प्रभाव डाल सकते है।

उधव कृष्ण
पटना

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Udhav has completed his Bachelor's and Master's degree in Journalism and Mass Communication from Nalanda Open University in Patna. He writes about all social issues and as he says in his own words, "HE IS A JOURNALIST BY EDUCATION"