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शुद्धि- प्योरिटी ऑफ़ सोल

वर्तमान में सोशल मीडिया हो, टेलीविजन हो या वेब प्लेटफॉर्म, लघु फिल्मों ने महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज की है। सौमित्र कुमार कुमार द्वारा निर्देशित, फिल्म ” शुद्धि- प्योरिटी ऑफ़ सोल ” की पटकथा आजादी से पूर्व की है, परंतु आज भी प्रासंगिक है। समाज का एक बड़ा तबका, गरीब और ‘अंत्यज वर्ग’ है, जो आजादी के इतने समय पश्चात भी जातिगत अपमान के दंश को झेलते हुए शोषण का शिकार है, उसकी पीड़ा की मुखर अभिव्यक्ति है यह फिल्म।

कहानी उत्तर भारत के, ग्रामीण क्षेत्र के, एक बिगड़ैल जागीरदार ‘छोटा मालिक’ (अमित सोनी) द्वारा गरीब ‘ धरमा ‘ (मनीष राजपूत) के अपमान से आरंभ होती है। निम्न जाति का धरमा अपमान के दंश को झेलते हुए, अपनी लालची पत्नी ‘सुग्गी’ (नाज) की इच्छा पूर्ति के व्यामोह में फंसा हुआ है। उसके अंतर्मन में अच्छे और बुरे भावों का संघर्ष उसके जीवन में क्या प्रभाव छोड़ता है, इसका सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक चित्रण किया गया है। ‘विनय कुमार’ इस फिल्म के आवश्यक पात्र हैं।

सौमित्र बताते हैं

वर्तमान समय में आजादी के पूर्व युग के वातावरण और परिस्थितियों को साकार करते हुए फिल्म निर्माण, किसी चैलेंज से कम नहीं है। कहानी का सेट जो आजादी के पूर्व काल से सम्बद्ध है, को साकार करने में वी एफ़ एक्स तकनीक का सफल प्रयोग हुआ है, जैसे-आधुनिक बिल्डिंग्स, बिजली के खंभे, वायर्स और अन्य वस्तुओं को मिटाना। विजुअल इफेक्ट तकनीक का अनुभव फिल्म में सफलतापूर्वक उपयोग किया है।

शुद्धि- प्योरिटी ऑफ़ सोल को परदे पर उतारने से लेकर पटकथा, स्टोरी बोर्डिंग, शॉट वितरण, निर्देशन, वी एफ़ एक्स निरीक्षण और एडिटिंग की पूरी जिम्मेदारी सौमित्र की ही थी।

दीपांशु हलदर इस फिल्म में “डायरेक्टर ऑफ़ फोटोग्राफी” हैं एवं फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक आशीष चक्रवर्ती ने पीरियड फिल्म को ध्यान में रखते हुए दिया है. तत्कालीन वेशभूषा, वस्त्र विन्यास, क्षेत्रीय बोली का उपयोग एक अन्य महत्वपूर्ण तत्व है, जो फिल्म को प्रासंगिक बनाता है। उसके लिए श्री गोकुल सोनी एवं नेहा सोनी ने फिल्म के डायलॉग लिखे हैं। नेहा इस फिल्म की प्रोड्यूसर भी हैं। श्री गोकुल सोनी मध्य प्रदेश के साहित्य जगत के जाने माने कवि, कहानीकार, व्यंग्यकार और पटकथा लेखक हैं।

तत्कालीन वातावरण और परिवेश का फिल्मांकन कृत्रिम रूप से निर्मित सेट्स द्वारा ना होकर, दृश्य वास्तविक और प्राकृतिक हों, इसको दृष्टिगत रखते हुए विरार (महाराष्ट्र), खिमलासा (मध्यप्रदेश), तथा बिहार के कुछ ग्रामीण क्षेत्रों के दृश्यों को फिल्माने के लिए, पूरी यूनिट ने यात्रा की है।

अप्रैल २०१९ से फिल्म…

सामाजिक विद्रूपताओं, विषमताओं और अन्याय की ओर ध्यान आकृष्ट कराती। परिकल्पना , पटकथा, व्ही ऍफ़ एक्स इफेक्ट, क्रिएटिव और कलात्मक तत्व, सभी दृष्टि से सफल इस लघु फिल्म को बनाने में निर्देशक सौमित्र कुमार छह माह का अथक परिश्रम है, जो फिल्म को विशिष्ट बनाता है। अक्टूबर २०१८ में शूटिंग शुरू हुई थी और पोस्ट प्रोडक्शन का काम भी समाप्त हो चुका है। अप्रैल २०१९ से फिल्म राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय फेस्टिवल के लिए उपलब्ध रहेगी।

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