पुनरावृत्ति : Story about a women
निधि ने अपनी माँ आरती की तरफ देखा। माँ सब्जी काटने में लगी थी। निधि मौका देखकर स्वाति का जिक्र करना चाहती थी। हालांकि निधि को अपने रुढ़ीवादी माँ से मदद की उम्मीद कम ही थी। पर उसे जो थोड़ी आशा पैदा हुई थी वह इसलिए क्योंकि माँ की स्थिति कुछ-कुछ स्वाति से मिलती-जुलती थी।
उसने माँ की तरफ देखते हुए आवाज दी “माँ। “
“हां” माँ ने संक्षिप्त सा उत्तर दिया।
“तुमसे कुछ बात करनी थी” निधि ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा।
“बोलो बेटा” माँ सब्जियां काटती रही।
“माँ तुमने मेरी दोस्त स्वाति को तो देखा ही है। ”
“हां जो तुम्हारे साथ स्कूल में पढ़ाती है। ”
“हां मां, मैं तो अनुभव के लिए पढ़ाती हूं पर उसकी मजबूरी है।”
“कैसी मजबूरी” माँ ने जब उत्सुकता दिखाई तो निधि पास आकर बैठ गई। उसे लगा बात सही दिशा में जा रही है।
“माँ वह पांच बहने हैं। पिता की नौकरी भी कुछ खास नहीं है। घर में आर्थिक मदद करने के लिए उसे कमाना पड़ता है। उसके पिता उसकी शादी के लिए लड़का ढूंढ रहे हैं।”
“पर तुमने बताया था कि उसने अपना b.a. पूरा नहीं किया है कम से कम b.a. तो पूरा कर लेना चाहिए।”
“माँ वही तो मैं भी कहती हूं पर उसके पिता कहते हैं पांच पांच बेटियां हैं, सबकी शादी करनी है जल्दी जल्दी निपटा लूंगा तब न सबकी सही समय पर कर पाऊंगा। ”