रिजल्ट में सुधार के लिए डेढ़ साल तक दौड़ा, सुसाइड करने लगा तो घंटों में सुधारा
बिहार: डेढ़ साल तक पेंडिंग रिजल्ट में सुधार के लिए टीएमबीयू का चक्कर काटने के बाद हताश होकर शनिवार को दोपहर साढ़े 12 बजे महादेव सिंह कॉलेज के स्टूडेंट अमित कुमार निराला ने प्रशासनिक भवन के सामने सुसाइड की कोशिश की। गुरुवार को ही उसने आत्मदाह की चेतावनी दी थी। दो दिन छात्र जब रिजल्ट लेने यूनिवर्सिटी पहुंचा तो जानकारी मिली की उसका रिजल्ट अब तक ठीक नहीं हो पाया है। इसके बाद उसने अपने बैग से केरोसिन भरा बोतल निकाला और सिर पर उड़ेल लिया।
इस दौरान अमित चिल्लाने लगा कि यूनिवर्सिटी ने मेरा कॅरियर बर्बाद कर दिया। अब जीने से कोई फायदा नहीं। लेकिन जैसे ही उसने माचिस की तीली जलाने की कोशिश की, मौके पर खड़े सुरक्षा गार्ड और अन्य छात्रों ने उसे चारों ओर से पकड़ लिया। घटना की जानकारी मिलते ही परीक्षा प्रभारी डॉ. योगेंद्र और प्रशासनिक भवन के कर्मचारी वहां पहुंचे। परीक्षा प्रभारी ने छात्र को अपने केबिन में ले जाकर बिठाया और परीक्षा नियंत्रक डॉ. अरुण कुमार सिंह को बुलाकर तत्काल रिजल्ट तैयार करने का निर्देश दिया। विवि ने केवल ढाई घंटे में तीन बजे छात्र को रिजल्ट दे दिया।
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आत्मदाह की कोशिश के बाद मची अफरातफरी
अमित को बचाने के लिए गार्ड व अन्य छात्र दौड़ पड़े। वहां मौजूद छात्र-छात्राएं चिल्लाने लगे। विवि परिसर में अफरातफरी मच गई। विवि के कर्मचारी, सुरक्षा गार्ड ने मजबूती से जकड़ लिया। इस दौरान वह खूब रोया चिल्लाया और पकड़ने वालों के साथ हाथापाई भी की। केरोसिन उसके आंख और नाक में चले जाने से वह दर्द से तड़पने लगा। छात्र नेता अजीत कुमार सोनू, बमबम प्रीत, रवि कुशवाहा व अन्य लोगों ने मायागंज अस्पताल लेकर जाकर उसका प्राथमिक उपचार कराया। छात्र की हालत अब बेहतर है। उपचार करा अमित दोबारा प्रशासनिक भवन आया। वहां विवि थाने की पुलिस ने उससे पूछताछ भी की।
भूगोल के बदले राजनीति विज्ञान में चढ़ा दिया गया था अंक
इतिहास ऑनर्स के छात्र अमित ने बताया कि उसने 2012 में पार्ट वन, 2014 में पार्ट टू और 2015 में पार्ट थ्री की परीक्षा पास की। पार्ट टू में सब्सिडियरी विषय के रूप में भूगोल की परीक्षा दी थी, लेकिन उसकी जगह राजनीति विज्ञान अंकित कर इसमें नंबर चढ़ा दिया गया। इस कारण इसका रिजल्ट रुक गया था। वह डेढ़ साल से लगातार रिजल्ट सुधार के लिए विवि आ रहा है। उसने आरोप लगाया कि वह गुरुवार को रिजल्ट सुधार के लिए परीक्षा नियंत्रक डॉ. अरुण कुमार सिंह के पास गया था, लेकिन उन्होंने डांटकर केबिन से बाहर निकाल दिया। ऑनर्स की डिग्री नहीं होने से वह रेलवे, बैंकिंग, एसएससी आदि की परीक्षा का आवेदन नहीं भर पाया।
चैंबर तक से नहीं निकले विवि के बड़े पदाधिकारी
आत्मदाह का प्रयास करने के बाद विवि में करीब एक घंटे तक अफरातफरी का माहौल रहा, लेकिन परीक्षा विभाग के पदाधिकारियों को छोड़ सभी अपने चैंबर में ही रहे। टीएमबीयू के पदाधिकारियों के इस रवैये की छात्र संगठनों ने निंदा की है। मीडियाकर्मियों ने जब कुलपति के मोबाइल पर कॉल किया तो पीआरओ डॉ अशोक कुमार ठाकुर ने फोन रिसीव किया। परीक्षा प्रभारी ने उसी फोन पर बताया कि कुलपति ने परीक्षा नियंत्रक को बुलाकर कड़ी डांट लगाई है।
बड़ा सवाल?
– जब पेंडिंग रिजल्ट ढाई घंटे में ठीक हो सकते थे तो छात्र को डेढ़ साल तक क्यों दौड़ाया गया?
– क्या छात्रों के साथ यूनिवर्सिटी का यह रवैया उसकी भविष्य को खराब नहीं कर रहा है?
– क्या पेंडिंग रिजल्ट के लिए जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारी के खिलाफ विवि कोई कदम उठाएगा?
300 पेंडिंग रिजल्ट में अब तक सुधार नहीं
पूर्व कुलपति प्रो. क्षमेंद्र कुमार सिंह के कार्यकाल तक पेंडिंग रिजल्ट की संख्या 3700 थी। यूनिवर्सिटी के 30 सरकारी और 28 एफिलिएटेड कॉलेजों में इतनी बड़ी संख्या में परेशान हो रहे छात्रों का भविष्य संवारने के लिए कोशिश तो कई हुई। अब तक 300 छात्रों के रिजल्ट अब भी पेंडिंग हैं। यूनिवर्सिटी की लापरवाही से सभी कोर्स पहले से ही 1-2 साल तक पीछे चल रहे हैं। तीन साल के ग्रेजुएशन का कोर्स 5 साल पूरा हो रहा है।
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