जब नेताजी की बारी आई तो वे इंटरव्यू के लिए अंग्रेज अधिकारियों के समक्ष बैठ गए। एक अधिकारी ने उन्हें देखकर व्यंग्य से मुस्कराते हुए पूछा, बताओ, उस छत के पंखे में कुल कितनी पत्तियाँ हैं। इस अटपटे प्रश्न को सुनकर नेताजी की नजर पंखे पर चली गई। पंखा काफी तेज गति से चल रहा था। उन्हें पंखे की ओर देखता पाकर सभी अंग्रेज व्यंग्यपूर्ण दृष्टि से मुस्कुराते हुए एक-दूसरे की ओर देखने लगे। तभी दूसरा अंग्रेज बोला, यदि तुम पंखुड़ियों की सही संख्या नहीं बता पाए तो इस इंटरव्यू में फेल हो जाओगे।
एक और सदस्य बोला भारतीयों में बुद्धि होती ही कहां है?
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उनकी बातें सुनकर सुभाष निर्भीकता से बोले अगर मैंने इसका सही जवाब दे दिया तो आप भी मुझसे दूसरा प्रश्न नहीं पूछेंगे और साथ ही मेरे सामने यह भी स्वीकार करेंगे कि भारतीय न सिर्फ बुद्धिमान होते हैं बल्कि वे निर्भीकता और धैर्य से हर प्रश्न का हल खोज लेते हैं। अंग्रेजों ने उनकी बात मान ली और उन्हें उत्तर देने के लिए कहा।