हर मर्ज़ की दवा : पिता
इस आधुनिक युग में हमने कुछ सीखा हो या नही पर हर दिन को एक अलग दिवस के रूप में मनाना जरूर सीख गए है। कोई भी दिन हो हम उसका बेसब्री से इंतजार करते है जिससे हम उस दिन को सेलिब्रेट कर सके। अपने अनुभव और अपने दिल की बात को कह सके। अखबार से लेकर, टीवी और सोशल मीडिया तक सभी उस एक खास दिन को लेकर चर्चा करते है। चाहे वो वैलेंटाइन्स डे हो या मदर्स डे, सब बड़ा धूमधाम और उत्साह से मनाते है।सभी अपने भावनाओं को अलग अलग के तरीके से जाहिर करते है। सभी इन दिनों को मनाना इसलिए जरूरी समझते है क्योंकि कहीं रिश्ते में खटास ना आ जाये।
घर की शान और अभिमान होते हैं पिता
अनुशासन की सीख देते हैं पिता
मौन के साथ-साथ भाषण देते हैं पिता
संतान की पहचान होते हैं पिता
मेरे सपनों को उड़ान देते
हौसलों को कभी कम न होने देते
हर मुसीबत में साथ देते
ऐसे हैं हमारे पिता
वैसे ही सबके जीवन मे एक बहुत खास दिन होता है वो है फादर्स डे। प्रत्येक वर्ष जून के तीसरे रविवार को ‘इंटरनेशनल फादर्स डे’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को सभी अपने तरीके से मनाते है। पापा, पिता,अब्बु, बाबा चाहे जिस नाम से भी इन्हें बुला ले पर इनका प्यार अपने बच्चों के लिए समान होता है। पापा मतलब घर के मुखिया जो सबका ख़याल रखते है चाहे वो खुद खुश हो ना हो। हां ये जरूरी नही सभी के जीवन मे पिता का सुख हो कुछ बच्चे ऐसे भी होते है जो इस सुख से वंचित रहते है। पर जिनके जिंदगी में पिता होते है उनके जीवन मे वो भगवान से कम नही होते। बचपन से ही हमारे मन मे पिता को लेकर एक अलग ही छवि बनी होती है उनकी कठोर और डांटने के स्वभाव को लेकर। हम उन्हें हिटलर की तरह मानते है।वो शायद इसलिए कि बचपन से ही एक पिता खुद को सख्त बनाकर हमें कठिनाइयों से लड़ना सिखाता है तो अपने बच्चों को ख़ुशी देने के लिए वो अपनी खुशियों की परवाह तक नहीं करता। एक पिता जो कभी मां का प्यार देते हैं तो कभी शिक्षक बनकर गलतियां बताते हैं तो कभी दोस्त बनकर कहते हैं कि ‘मैं तुम्हारे साथ हूं’। और तमाम कठिनाइयों और परेशानियों के बावजूद वो अपने चेहरे पर एक शिकन तक नही आने देते जिससे हम उनके तकलीफ को नही समझ पाते।
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हमें जीवन जीने की कला सिखाने और अपना सम्पूर्ण जीवन हमारे नाम कर देने वाले पिता के लिए वैसे तो हर बच्चों को हर समय तैयार रहना चाहिए।मगर आज कल के इस भागते दौड़ में किसी के पास इतना समय नही है कि वो अपने मां-बांप को वक़्त दे। लेकिन कम से कम साल में इस खास दिन फादर्स डे को (International father’s day) तो अच्छे से सेलिब्रेट कर ही सकते है।इस एक खास दिन को तो हम उनके लिए अपना वक़्त दे सकते है।कुछ अच्छे पल,और यादें बना सकते है। उनके त्याग और परिश्रम को चुकाया तो नहीं जा सकता, लेकिन कम से कम हम इतना तो कर ही सकते हैं कि उनके प्रति ‘कृतज्ञ’ बने रहे।
वैसे तो ‘फादर्स डे’ मनाना हमारी संस्कृति का हिस्सा नहीं है और मूल रूप से यह यूएस में जून महीने के तीसरे रविवार को मनाया जाता है।मगर आधुनिक ज़माने की संस्कृति ने हमें ‘फादर्स डे’ के रूप में यह अवसर दिया है, तो हमें अच्छी चीजों और परंपराओं का धन्यवाद तो कहना ही चाहिए! इससे हम अपनी भावनाएं जो चाहकर भी नहीं कह पाते, वह इस अवसर पर कह सकते हैं। उन्हें वो अपनापन महसूस करा सकते हैं जिससे वो अपने आपको बुढ़ापे में सुरक्षित महसूस कर सकें। उनको ये एहसास करा सकते हैं कि ‘आज मैं जो भी हूं’ वो आपके बिना संभव नहीं था। जाहिर है, हर मनुष्य के अंदर भावनाएं और एक उम्मीद होती है और अगर किसी को उसकी संतान शुभकामनाएं दे तो उसे अच्छा ही लगेगा।