ट्रेन के ऐसी कोच में सफर करते हुए आपने अक्सर रेलवे द्वारा दिए जाने वाले कंबल का इस्तेमाल किया होगा। बाकायदा आप उसे अपने मुंह पर भी ढंकते रहे होंगे, जैसा आप अपने घर के कंबले के साथ करते होंगे, पर हाल ही में इन कंबलों की धुलाई को लेकर ऐसी बातें सामने आई हैं जिसे जानकर आप दंग रह जाएंगे। हो सकता है कि आप दोबारा रेलवे द्वारा दिए गए कंबलों का इस्तेमाल भी न करें। 2 महीने में होती है धुलाई…
हाल ही में असम के रेल राज्य मंत्री राजन गोहेन ने इस बात का खुद खुलासा किया है। गोहेन ने बुधवार को कहा कि भारतीय रेल सुनिश्चत करती है कि ट्रेनों में बिछाई जाने वाली चादर को हर बार इस्तेमाल के बाद और कंबलों की हर दो महीने में कम से कम एक बार धुलाई सुनिश्चित की जाती है।
- लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में गोहेन ने कहा, चादर की हर बार इस्तेमाल के बाद धुलाई की जाती है। लेकिन कंबलों को कम से कम दो महीने में एक बार धुलाई की जाती है। अब सवाल ये उठता है कि आखिर कंबलों को दो महीने में क्यों धोया जाता है?
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही खबर
- कंबलों की दो महीने में एक बार धुलाई की बात सामने आते ही सोशल मीडिया पर बवाल मच गया। एक ओर लोगों का रेलवे के प्रति आक्रोश नजर आ रहा है, तो वहीं दूसरी ओर लोगों ने कंबलों से तौबा करने की बात भी कही है।
क्या होगा हेल्थ पर असर
- रेलवे द्वारा दिए जाने वाला कंबल 2 महीने में न जाने कितने हजार लोग ओढ़ते होंगे। ऐसे में न जाने कितने वायरस और संक्रमण भी इनसे फैलने की संभावना होती है। ऐसे में इसका हमारी हेल्थ पर क्या असर होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
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