तुम्हारे जाने के बाद……
जिस पल तुम गए
लगा ले गए मेरी ज़िंदगी
लगा मर गयी तमन्नाएँ सारी
पर कभी कभी कुछ पलों ने
कराया ये अहसास
की अभी भी ज़िंदा है मेरे ज़ज़्बात
दो बार -चिलचिलाती धुप ने जब तन को जलाया,
कड़कड़ाती ठंड ने जब तन ठिठुराया ,
लगा एहसास ज़िन्दा है
वरना तुम्हारे जाने के बाद.. . . . . .
दो बार-जब गर्म हवा में सूखे पत्ते आवारा से उड़े ,
जब देखी किसी दरवाज़े पर सुखी तोरण की बेल ,
लगा आँखों की नमी ज़िंदा
वरना तुम्हारे जाने के बाद . . . . . . . . . .
दो बार -जब आसमान में देखा उड़ते पक्षियों के झुण्ड,
जब पहली बारिश में आयी मिट्टी की सोंधी खुशबु ,
लगा चाहत ज़िंदा है
वरना तुम्हारे जाने के बाद . . . . . .
दो बार -जब पौधों में कोमल पत्ते और कलियाँ खिली ,
जब गली में सुनी बच्चे की मधुर किलकारी ,
लगा की उम्मीद ज़िंदा है
वरना तुम्हारे जाने के बाद. . . . . . .
लगा मर गयी तमन्नाएँ सारी
पर कभी कभी कुछ पलों ने
कराया ये अहसास
की अभी भी ज़िंदा है मेरे ज़ज़्बात।
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