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वो जो हम में तुम में क़रार था

डिअर अनिमेष,

आज तुम घर आओगे तो रोज की तरह मैं घर पर तुम्हारा इंतजार करती हुई नहीं मिलूंगी। मैं कहां जा रही हूं इसे जानने से ज्यादा तुम्हारे लिए ये जानना जरूरी है कि मैं क्यों जा रही हूँ ?
कल शाम बेग़म अख्तर की गायी एक गजल सुनी
“वो जो हममें तुम में करार था तुम्हें याद हो कि न याद हो….”
सुनकर आंखों में आँसू आ गए।मुझे पता है ये पढ़कर तुम हंसोगे और हमेशा की तरह कहोगे ‘सेंटीमेंटल फूल’। पर क्या जानना नहीं चाहोगे मेरे आंखों में आँसू क्यों आ गए इसलिए कि मुझे बहुत सी पुरानी बातें याद आ गई। वो वक़्त याद आ गया जब दोनों मिलते थे तो समय खत्म हो जाता था पर बातें खत्म नहीं होती थी ।कभी साथ बैठकर गज़ले सुनना कभी किसी । क्या तुम्हें याद है वो दिन । वो दिन कहां चले गए अनिमेष ?
याद करो वह दिन जब हम एक दूसरे से मिलकर विदा होते थे तो भारी मन से लौटते मेरे कदम हमेशा वापस मुड़ तुम्हारे पास लौट आना चाहते और तुम मुझे तब तक निहारते जब तक मैं तुम्हारी आंखों से ओझल ना हो जाती ।वह एहसास वह मीठा सा दर्द तुम से अगली बार मिलने तक दिल को गुदगुदाता रहता ।एक कशिश सी हमारे रिश्ते में हमेशा बनी रहती। वो कशिश कहाँ चली गयी।

तुमने मुझे बताया था की शादी की पहली रात तुम सिर्फ इस ख़ुशी से सोए नहीं कि अब ये इंतज़ार , मिलना और मिलने के बाद बिछड़ना सब ख़त्म हो जाएगा ।अब जब भी तुम सुबह उठोगे तो मैं तुम्हारी आँखों के सामने रहूँगी ।तुम्हें मेरे या दूर कहीं मुझे तुम्हारे कॉल का इंतजार नहीं रहेगा ।जब चाहे तब तुम मुझसे बात कर सकते हो ,मुझे देख सकते हो ,छू सकते हो। उस ख़ुशी की अब झलक भी तुम्हारी आँखों में क्यों नहीं होती।

मैं नहीं कहती कि अब हम दोनों के बीच प्यार नहीं है पर अब कुछ बदल सा गया है शुरु शुरु में मुझे लगा हमारा प्यार इतना गहरा है कि अब हमें एक दूसरे से कोई शिकायत नहीं रहती ।हम एक दूसरे की हर बात समझ जाते हैं और इसी कारण हमारे बीच ज़िरह भी नहीं होती। पर मैंने कहीं सुना था प्यार में तकरार जरूरी है इससे रिश्तो में गर्माहट बनी रहती है और इसी गर्माहट को मैं काफी दिनों से मिस कर रही हूं ।मुझे लग रहा है कहीं कुछ खो सा गया है ।मुझे लगने लगा है कि बस अब मैं घर के किसी कोने की तरह तुम्हारी जिंदगी में शामिल हूँ। याद करो अनिमेष तुमने मुझे अंतिम बार आई लव यू कब कहा था या मुझे मिस कब किया था ?
मैं जानती हूं जब रिश्ते बदलते हैं जरूरतें बदल जाती हैं ।अब उस तरह रहना मुश्किल है महसूस करना मुश्किल है पर क्या एक दूसरे के
प्रति भावनाएं भी बदल जाती है।मेरा मानना है हर इंसान को ऐसी खूबसूरत यादों को वक्त के लिफाफे में संजो कर जिंदा रखना चाहिए ताकि जब जी चाहे उसे खोलकर उन यादों में खो सके। मैंने ऐसा ही किया पर शायद तुम ना कर पाये।धीरे-धीरे ना जाने कब तुम इस जिंदगी की आपाधापी में कहीं खो गए तुमने पता नहीं कौन से सपने सजा लिए है जिनमें मैं हूँ ही नहीं । हमारा प्यार बैंक बैलेंस ,क्रेडिट कार्ड ,कार लोन ,होम लोन और न जाने किन किन चीजों के नीचे दबकर रह गया ।अब जब तुम घर आते हो तुम्हारे कान फोन कॉल्स पर लगे होते जो तुम्हारे लिए बहुत जरूरी है ।मुझे देखकर तुम्हारी आंखों में पहली सी चमक नहीं आती ।मुझसे बात करने की तुम्हें कोई जल्दी नहीं होती ।जब तुम मुझे देखते हो तुम्हारी आँखे भावनाशून्य होती है। उन्हें देख मेरे दिल में कुछ दरक सा जाता है।
मेरे शिकायत करने पर तुम कहते हो ‘अमृता ,बी प्रेक्टिकल ‘ ।अगर इसे प्रैक्टिकल होना कहते है तो नहीं मुझे नहीं होना है प्रैक्टिकल। तुम कहते हो यह सब मेरे लिए कर रहे हो पर मैंने ऐसी चाहत तो कभी की ही नहीं।मुझे तुम्हारा प्यार और थोड़ा वक्त चाहिए पैसा नहीं ।दो मीठे बोल चाहिए महंगे गिफ्ट्स नहीं।मेरी मां कहती थी कोई कितना भी धन कमा ले वो खाता तो रोटी ही है सोने का भस्म नहीं ।वो सही कहा करती थी ।पैसा उतना ही होना चाहिए जिससे ज़िंदगी जी जा सके पर तुमने तो पैसों को ही ज़िंदगी बना ली है।तुम जानते हो शुरू से मुझे गहनों, कपड़ों का कोई शौक नहीं है।फिर तुम पैसों के पीछे किसके लिए भाग रहे हो ?
तुम अक्सर मुझे ‘सेंटीमेंटल फूल’ कहते हो न। वो तो मैं हूँ तभी तो सारे बंधनों को तोड़ मैं तुम्हारे साथ हूं सिर्फ तुम्हारे प्यार के लिए।और आज जा भी रही हूँ तो सिर्फ उसी के लिए। मैं जा रही हूं पर तुमसे खफा नहीं हूं ।कुछ दिनों में लौट आऊंगी।मैं जा रही हूं ताकि तुम्हारी यादों में फिर से अपनी जगह बना सकुं। तुम मुझे फिर से मिस कर सको।तुम्हारे अंदर मुझसे फिर मिलने की चाहत हो, बे-करारी हो। उम्मीद है मुझे समझने की कोशिश करोगे। तुम्हे सोचने का मौका मिले की तुम्हारी ज़िंदगी में मेरी जगह है या नही।उम्मीद है यह जुदाई तुम्हें हमारे पुराने प्रेम की याद दिलाए।

और हां ! वो ग़ज़ल जरूर सुनना
“जो हममें तुम में क़रार था तुम्हें याद हो कि न याद हो….”
जरूर सुनना कुछ यादें ताजा होगी।

तुम्हारी ‘सेंटीमेंटल फूल ‘
अमृता

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