विश्व पर्यटन दिवस: एक सूत्र में नहीं बंध पाए बिहार के पर्यटन स्थल
बिहार में पर्यटन स्थलों को एक सूत्र में बांधने में पर्यटन विभाग अब तक सफल नहीं हो पाया है। योजनाएं बनती हैं और धरातल पर उतर नहीं पाती। स्थिति ऐसी है कि महत्वपूर्ण स्थल आज तक बस रूट से नहीं जुड़ पाए हैं।
सूबे में इक्को टूरिज्म की असीम संभावनाएं हैं। योजनाएं बनती हैं लेकिन इक्को टूरिज्म स्थल पर ले जाने के लिए योजना नहीं बन पाती है। डाल्फिन को दिखाने के लिए कई बार योजना बनी। आज तक शुरू नहीं हो सकी।
राजगीर, नालंदा, गया, बोधगया, पावापुरी, विक्रमशील, बाल्मीकि नगर व्याघ्र परियोजना, वैशाली, केसरिया सहित कई पर्यटन स्थल पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। धार्मिक दृष्टिकोण से स्थल होने के कारण विदेशी पर्यटक यहां बड़े पैमाने पर आते हैं।
बोधगया में महात्मा बुद्ध की जन्म स्थली के कारण विदेशी पर्यटक बड़े पैमाने पर आते हैं। लेकिन ये बिहार में ठहरते नहीं हैं। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर का महापरिनिर्वाण पावापुरी में होने के कारण जैन धर्मावलंबियों के लिए पवित्र स्थल है। हिंदू धर्म से जुड़े कई पर्यटन स्थल हैं। रामायण सर्किट अब तक विकास नहीं हो पाया है। गांधी सर्किट के लिए लिए अब व्यवस्था नहीं की गई है।
सीख धर्म के 10वें गुरु गोविंद सिंह का जन्म स्थल पटना है। उनसे जुड़े कई स्थल बिहार में है। टूर पैकेज मात्र शोभा बढ़ा रहा है। बिहार के पर्यटन स्थलों को बस रूट से जोडऩे की कई बार योजना बनी। योजना फाइल से बाहर नहीं निकली। सूफी सर्किट है। मनेर जाना मुश्किल है। सड़क जर्जर है।
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बग्घी पर्यटन निगम की आंतरिक कमी के कारण बंद हो गया। इसकी खरीद मुख्यमंत्री, राजभवन, सचिवालय, राजधानीवाटिका के आसपास के मनोरम दृश्य को दिखाने के लिए लाया गया था। यह राजधानीवाटिका से खुलता था। अब बंद है। इसे टैक्सी सेवा की शुरुआत कर बंद कर दिया गया। निजी एजेंसी के माध्यम से शुरू किया गया था।
पर्यटन निगम की नाकामी का के कारण ओला सहित कई निजी संस्थाएं मार्केट में आ गई हैं। एयरपोर्ट से चलने वाली टैक्सी योजना भी रामभरोसे चल रही है। पर्यटन निगम द्वारा गाडिय़ों की पूर्ति नहीं किए जाने पर एयरपोर्ट पर भी निजी क्षेत्र आ गया है।