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मजबूत इरादों के “अटल”

इन दिनों देशवासियों की नजरें दिल्ली एम्स पर है जिसकी वजह है भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का स्वास्थ्य। 11 जून को  उन्हें एम्स में विशेष निगरानी में रखा गया है। पहले इसे रूटीन मेडिकल जांच बताया गया था, मगर अभी तक उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज नहीं किया गया है। जिसके बाद से ही प्रधानमंत्री और लगभग सभी विशिष्ट मंत्रीगण का उनसे मुलाकातों का सिलसिला शुरू हो गया। सभी ने सोशल मीडिया के माध्यम से उनके जल्दी स्वस्थ होने की कामना की और साथ ही कई जगहों पर उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए हवन-पूजन भी किया गया।

हालांकि डॉक्टरों के मुताबिक अब उनकी हालत में सुधार है और जल्द ही उन्हें हॉस्पिटल से छुट्टी मिल जाएगी।

भारत को लेकर मेरी एक दृष्टि है- ऐसा भारत जो भूख, भय, निरक्षरता और अभाव से मुक्त हो”

ऐसी सोच रखने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी भारत के 10वें प्रधानमंत्री थे। इनकी राजनीतिक सफर शुरुआत एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में हुई जब इन्हें 1942 में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में भाग लेने के कारण अन्य नेताओं के साथ गिरफ्तार कर लिए गए। जहां इनकी मुलाकात श्यामा प्रसाद मुखर्जी से हुई, जो भारतीय जनसंघ के नेता थे। जिसके बाद इन्होंने उनके पार्टी के एजेंडे में मदद की। मुखर्जी के मृत्यु के बाद इन्हें भारतीय जनसंघ राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया।

1955 में इन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा, परन्तु सफलता नहीं मिली। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और फिर 1957 में बलरामपुर (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुंचे। 1957 से 1977 तक जनता पार्टी की स्थापना तक वे बीस वर्ष तक लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे। मोरारजी देसाई की सरकार में वे 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री रहे और विदेशों में भारत की छवि बनायी। 1971 के युद्ध के कारण भारत – पकिस्तान के खराब रिश्तों को सुधारने के लिए  उन्होंने पाकिस्तान की यात्रा कर नई पहल की।

1980 में इन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी(BJP) के स्थापना में मदद की। 6 अप्रैल 1980 को इन्हें पार्टी का कारोभार सौंपा गया।  और पूरे पांच वर्ष तक वो इस पार्टी के अध्यक्ष बने रहे। इसके अलावा ये दो बार राज्यसभा के लिए भी निर्वाचीत हुए।

प्रधानमंत्री के रूप में इनका कार्यकाल

1996 के लोकसभा चुनाव के बाद  जब बीजेपी को सत्ता में आने का मौका मिला तब अटल बिहारी वाजपेयी जी को प्रधानमंत्री को रूप में  चुने गए। लेकिन बहुमत सिद्ध नहीं कर पाने के कारण सरकार गिर गई और वाजपेयी जी  को प्रधानमंत्री पद से मात्र 13 दिनों के बाद ही इस्तीफा देना पड़ गया।

1998 चुनाव में बीजेपी एक बार फिर सरकार बनाने में सफल रही  और इस बार भी प्रधानमंत्री के रूप में अटल जी को ही चुना गया।यह दूसरी बार था जब उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए निर्वाचित किया गया था, पर सिर्फ 13 महीनों तक ही वो सत्ता में रह सके।

परमाणु परीक्षण की पहल

वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने मई 1998 में राजस्थान के पोखरण में परमाणु परीक्षण कराए। 1999 के लोक सभा चुनावों के बाद नेशनल डेमोक्रेटिक अलायन्स (एनडीए) को सरकार बनाने में सफलता मिली और अटल बिहारी वाजपेयी एक बार फिर प्रधानमंत्री बने। इस बार सरकार ने अपने पांच साल पूरे किए और ऐसा करने वाली पहली गैर-कांग्रेसी सरकार बनी। सहयोगी पार्टियों के मजबूत समर्थन से वाजपेयी ने आर्थिक सुधार के लिए और निजी क्षेत्र के प्रोत्साहन हेतु कई योजनाएं शुरू की। उन्होंने औद्योगिक क्षेत्र में राज्यों के दखल को सीमित करने का प्रयास किया।

वाजपेयी ने विदेशी निवेश की दिशा में और सूचना तकनीकी के क्षेत्र में शोध को बढ़ावा दिया। उनकी नई नीतियों और विचारों के परिणाम स्वरूप भारतीय अर्थव्यवस्था ने तुरंत विकास हासिल किया। पाकिस्तान और यूएसए के साथ मैत्रीपूर्ण रिश्ते कायम करके उनकी सरकार ने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत किया। अटल बिहारी वाजपेयी की विदेश नीतियां ज्यादा बदलाव नहीं ला सकीं, फिर भी इन नीतियों को बहुत सराहा गया।

पाकिस्तान से संबंधों में सुधार की पहल

19 फ़रवरी 1999 को सदा-ए-सरहद नाम से दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा शुरू की गई। इस सेवा का उद्घाटन करते हुए प्रथम यात्री के रूप में वाजपेयी जी ने पाकिस्तान की यात्रा करके नवाज़ शरीफ से मुलाकात की और आपसी संबंधों में एक नयी शुरुआत की

वाजपेयी सरकार के  अन्य उपलब्धियां

  • एक सौ साल से भी ज्यादा पुराने कावेरी जल विवाद को सुलझाया।
  • संरचनात्मक ढाँचे के लिये कार्यदल, सॉफ्टवेयर विकास के लिये सूचना एवं प्रौद्योगिकी कार्यदल, विद्युतीकरण में गति लाने के लिये केन्द्रीय विद्युत नियामक आयोग आदि का गठन किया।
  • राष्ट्रीय राजमार्गों एवं हवाई अड्डों का विकास; नई टेलीकॉम नीति तथा कोकण रेलवे की शुरुआत करके बुनियादी संरचनात्मक ढाँचे को मजबूत करने वाले कदम उठाये।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा समिति, आर्थिक सलाह समिति, व्यापार एवं उद्योग समिति भी गठित कीं।
  • आवश्यक उपभोक्ता सामग्रियों की कीमतें नियन्त्रित करने के लिये मुख्यमन्त्रियों का सम्मेलन बुलाया।
  • उड़ीसा के सर्वाधिक गरीब क्षेत्र के लिये सात सूत्रीय गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किया।
  • आवास निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए अर्बन सीलिंग एक्ट समाप्त किया।
  • ग्रामीण रोजगार सृजन एवं विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों के लिये बीमा योजना शुरू की।
  • सरकारी खर्चे पर रोजा इफ़्तार शुरू किया

अपने सफल पांच साल पूरे होने के बाद 2005 में एनडीए सरकार ने अटल जी के नेतृत्व में पूरे आत्मविश्वास के साथ फिर से चुनावी मैदान में उतरे। पर इस बार उन्हें सफलता हासिल नही हुई। और सरकार नही बना पाई। दिसंबर 2005 में ही अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति से सन्यास ले लिया।

कवि अटल जी

राजनीति के अलावा अटल जी का नाम लेखक के रूप में भी जाना गया। इन्होंने अपने रचनायों से लोगो को काफी प्रभावित किया। उनकी सर्व प्रथम कविता ताजमहल थी।मेंरी इक्यावन कविताएँ अटल जी का प्रसिद्ध काव्यसंग्रह है।

अटल जी के कुछ प्रमुख रचनाएं:-

  • मृत्यु या हत्या
  • अमर बलिदान (लोक सभा में अटल जी के वक्तव्यों का संग्रह)
  • कैदी कविराय की कुण्डलियाँ
  • संसद में तीन दशक
  • अमर आग है
  • कुछ लेख: कुछ भाषण
  • सेक्युलर वाद
  • राजनीति की रपटीली राहें
  • बिन्दु बिन्दु विचार
  • मेरी इक्यावन कविताएं

वाजपेयी के पुरस्कार

  • 1992 पद्म विभूषण
  • 1993 डी लिट (कानपुर विश्वविद्यालय)
  • 1994 लोकमान्य तिलक पुरस्कार, श्रेष्ठ सासंद पुरस्कार, भारत रत्न पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार
  • 2014 दिसम्बर भारत रत्न से सम्मानित।
  • 2015 डी लिट (मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय),’फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वार अवॉर्ड’, (बांग्लादेश सरकार द्वारा प्रदत्त),भारतरत्न से सम्मानित

‘वह हारे हुए सिपाही का नैराश्य-निनाद नहीं, जूझते योद्धा का जय-संकल्प है’।

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