रानी की कहानी मजाक नहीं’, पद्मावती के वंशजों को 5 वजहों से फिल्म पर एतराज
उदयपुर. संजय लीला भंसाली की फिल्म को लेकर विवाद के बीच अब रानी पद्मावती और रावल रतन सिंह के वंशज सामने आए हैं। घूमर के गलत प्रोजेक्शन, खिलजी को हीरो बताने और रानी पद्मावती से जुड़े तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने के आरोपों के अलावा मेवाड़ के पूर्व राजघराने के मेंबर्स ने फिल्म के विरोध की अपनी वजहें बताई हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि वे बयानबाजी और तोड़फोड़ में यकीन नहीं रखते, बल्कि बातचीत से मसला सुलझाना चाहते हैं। बता दें कि पद्मावती मेवाड़ की महारानी थीं। मेवाड़ की राजधानी चित्तौड़ में खिलजी के हमले के वक्त उन्होंने 1303 में जौहर किया था। जानिए मेवाड़ राजघराने के वंशजों का इस फिल्म के बारे में क्या मानना है।
रानी की कहानी कोई मजाक नहीं, ये अस्मिता का सवाल है
मेवाड़ राजघराने के वंशज अरविंद सिंह मेवाड़ ने ‘भास्कर’ को बताया, “इस मसले को बैठकर सुलझाया जाए। इस प्रकार के रोष और आक्रामक रुख को अपनाने से कुछ नहीं होता। आक्रामकता से सभी पक्षों को नुकसान है। इसमें किसी की जीत है, किसी की हार है। ऐसा कोई जरिया ढूंढा जाए कि जिससे बातचीत से इस मसले को सुलझाया जा सके। यह कोई मजाक नहीं। यह चित्तौड़ और राजस्थान ही नहीं, पूरे देश की महिलाओं की अस्मिता का सवाल है।”
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फिल्म में आप असलियत बता नहीं पाएंगे
- “हमारे सारे राजपूत भाई और हम खुद इस विषय पर फिल्म बनाने के विरोध में हैं, क्योंकि आप कितना भी कर लें, असलियत आप नहीं बता पाएंगे। असलियत बताएंगे तो फिल्म नहीं बनेगी। बनेगी तो बहुत ही रूखी होगी। आप जिस मकसद से फिल्म बनाना चाहते हैं, आपका मकसद पूरा नहीं होगा और बॉक्स ऑफिस पर मुनाफा नहीं दिला पाएगी। आपके लिए तो ये बिजनेस है। मैं चाहता हूं, आप ऐसी फिल्म न बनाएं जिससे किसी समाज की भावनाएं आहत हों।”
तथ्यों से परे जाकर कुछ दिखाना आर्टिस्टिक लाइसेंस के दायरे में नहीं
“पूरा समाज उमड़ा हुआ है। आज बच्चे इतिहास नहीं पढ़ते। किताबों में से बहुत-सा इतिहास निकाल दिया गया है। बड़ा दुख है, ये बच्चे इतिहास को फिल्मों के जरिए से देखते हैं और उसी को वे पत्थर की लकीर मानते हैं। लिहाजा, बॉलीवुड के प्रोड्यूसर की जिम्मेदारी है कि वह ऐसा कुछ नहीं करे, जिससे यंग जनरेशन इतिहास को गलत ढंग से ले ले और फिर वह फिल्म की कहानी काे ही सच मान ले।”
- “मैंने यह फिल्म नहीं देखी है। इसलिए दावे के साथ नहीं कह सकता, फिर भी जो कुछ देखने को मिला है, वो ऐतिहासिक तथ्यों से बहुत परे है और इस कारण ये आर्टिस्टिक लाइसेंस की परिभाषा में भी नहीं सकती है।”
पैसा ही सब कुछ नहीं होता, एंटरटेनमेंट के नाम पर भावनाएं आहत ना करें
- अरविंद सिंह मेवाड़ के बेटे लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने भी पहली बार इस मुद्दे पर अपनी राय दी। उन्होंने कहा, “इतिहास के साथ छेड़छाड़ मेवाड़ बर्दाश्त नहीं करेगा। जज्बात को जाहिर करने के लिए किसी भी तरह की बयानबाजी, तोड़फोड़ और हाथापाई सही नहीं है। किसी काल्पनिक फिल्म के विरोध में गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी करना तो आसान है, लेकिन समाधान निकालना सबसे बड़ी बात है।”
- “क्या अब मेरे परिवार या मुझे पूर्वजों और मेवाड़ के प्रति हमारे समर्पण का प्रमाण देना पड़ेगा? संजय लीला भंसाली से मेरा सवाल है कि क्या रानी पद्मावती जैसे पवित्र विषय को मनोरंजन के रूप में पेश करना किसी डायरेक्टर की जिम्मेदाराना वर्कस्टाइल है?”
- “फिल्म के कलाकारों से सवाल है कि क्या उन्होंने मर्यादा में रहकर सच्चे कलाकार होने का फर्ज निभाया है या फिर पैसा ही सब कुछ होता है? एंटरेटनमेंट के नाम पर इतिहास, संस्कृति और जन भावनाओं को आहत करने से रोकने के लिए सख्त कानून बने।”
आर्मी की एक यूनिट भी जौहर दिवस मनाती है
अरविंद सिंह के भाई और मेवाड़ के पूर्व राजघराने के महेन्द्र सिंह मेवाड़ ने भी हाल ही में कहा था, “इसी तरह कोई पीएम मोदी के चरित्र से जोड़कर कुछ भी दिखाएगा तो क्या सेंसर बोर्ड पास कर देगा? क्या बोर्ड को पता भी है कि ग्रेनेडियर्स (सेना की एक यूनिट) का स्थापना दिवस जौहर दिवस के दिन ही मनाया जाता है।”
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अनूठा विरोध: शादी के कार्ड पर लिखवाया -पद्मिनी का अपमान नहीं सहेंगे
- राजस्थान में अब ऐसे वेडिंग इनविटेशन कार्ड भी देखे जा रहे हैं, जिनमें रानी पद्मावती का जिक्र है। उदयपुर में बीएन कॉलेज के पूर्व स्टूडेंट्स यूनियन प्रेसिडेंट सुरेन्द्र सिंह पंवार अपनी शादी के कार्ड में स्लोगन के जरिए पद्मावती फिल्म का विरोध जता रहे हैं।
- उन्होंने कार्ड पर लिखवाया है- एक रानी की बात नहीं, पद्मिनी हो या जोधा को फिल्माने की बात नहीं। बात सिर्फ है स्वाभिमान की, सत्य सनातन की वह ज्योति। उस पे घात करे कोई तो, हमसे सहन नहीं होती। पद्मिनी का अपमान नहीं सहेंगे।
फिल्म पद्मावती को लेकर विवाद क्यों है?
दीपिका पादुकोण, शाहिद कपूर और रणवीर सिंह स्टारर पद्मावती 1 दिसंबर को रिलीज हो रही है। डायरेक्टर संजय लीला भंसाली हैं। फिल्म का राजस्थान में करणी सेना, बीजेपी लीडर्स और हिंदूवादी संगठन विरोध कर रहे हैं। उनका आरोप है कि इतिहास से छेड़छाड़ कर फिल्म बनाई जा रही है।
- राजपूत करणी सेना का मानना है कि इस फिल्म में पद्मिनी और खिलजी के बीच ड्रीम सीक्वेंस फिल्माए जाने से उनकी भावनाओं को ठेस पहुंची है। लिहाजा, फिल्म को रिलीज से पहले राजपूत प्रतिनिधियों को दिखाया जाना चाहिए।
- हालांकि, भंसाली साफ कर चुके हैं कि ड्रीम सीक्वेंस फिल्म में है ही नहीं।
पहला विवाद : क्या हकीकत में थीं रानी पद्मावती?
वे कोरी कल्पना नहीं थीं। रानी पद्मावती ने 1303 में जौहर किया। मलिक मोहम्मद जायसी ने 1540 में ‘पद्मावत’ लिखी। छिताई चरित, कवि बैन की कथा और गोरा-बादल कविता में भी पद्मावती का जिक्र था।
दूसरा विवाद : क्या जायसी ने हकीकत के साथ कल्पना जोड़ी?
इसी पर डिबेट है। कई इतिहासकार कुछ हिस्सों को कल्पना मानते हैं। जायसी ने लिखा कि पद्मावती सुंदर थीं। खिलजी ने उन्हें देखना चाहा। चित्तौड़ पर हमले की धमकी दी। रानी मिलने के लिए राजी नहीं थीं। उन्होंने जौहर कर लिया।
तीसरा विवाद : खिलजी हीरो नहीं था
चित्तौड़गढ़ के जौहर स्मृति संस्थान का कहना है- फिल्म में हमलावर खिलजी को नायक बताया है। जबकि राजा रतन सिंह की अहमियत खत्म कर दी है। यही इतिहास से छेड़छाड़ है।
चौथा विवाद : घूमर नृत्य नहीं, सम्मान
फिल्म के एक गाने में घूमर नृत्य दिखाया है। राजपूतों के मुताबिक, घूमर अदब का प्रतीक है। रानी सभी के सामने घूमर कर ही नहीं सकतीं।
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